श्री रामदेवबाबा भकतो के उद्धारक-पु शास्त्री
अकोला-रामसापिर रामदेवबाबा भकतो के उद्धारक हैं.उन्होने अपने जीवनकाल मे अनेक भकतो का उद्धार कर उन्हे सद्गती प्रदान की हैं. उनके नाम स्मरण से ही दुखो का अंत होता हैं.ऐसे भकतो के उद्धारक रामदेवबाबा का सदैव सुमिरण करने का हितोपदेश आचार्य श्यामदेव शास्त्री ने किया.
स्थानीय गीता नगर के रामदेवबाबा शामबाबा मंदिर मे चल रहे आचार्य श्यामदेव शास्त्री के रामदेवबाबा कथा के तिसरे सत्र मे आचार्य श्यामदेव शास्त्री ने अजमलजी का विवाह,पोकरण की स्थापना एवं लाछा सुगना के विवाह की कथा सुनायी.राजस्थान के प्रख्यात जुम्मा गायक विक्की ब्यावत की संगीतमय उपस्थिती मे चल रहे इस कथा मे आचार्य श्यामदेव शास्त्री ने रावनमाल एवं राजपूत कन्या से पुरुष बनी लालसिंग की रोम हर्षक कथा प्रतिपादित की.उन्होने कहा, रामदेवजी की कथा हरजी सुना रहे हैं एवं जोधपूर अर्थात मेहबे के महाराज विजयसिह राठोड कथा सून रहे हैं.इसी परिपेक्ष मे पु शास्त्री ने लालसिंग की अगले जन्म मे बनी रुपादेवी की कथा सुनाई.लालसिंग जैसे ही रुपादेवी रामदेवबाबा की महान भक्त थी. उसका विवाह महाराज रावनमाल से हुवा.लेकिन यहा भी उसने अपनी भक्ती न छोडी.रामदेवबाबा ने अनेक भकतो को परचे दिये.उसी श्रेणी मे रूपादेवी आने की बात पु शास्त्री ने कही.इस कथा के संदर्भ में साधूवृत्ती और गृहस्थ जीवन मे काफी फर्क हैं और दिनचर्या भी अलग है.साधुवृत्ती तो अमृत काल मे उठकर अपनी दिनचर्या करती है, तथा गृहस्थ यह देरी से उठता है. साधुवृत्ती यह महान त्याग की परिचारक हैं. उन्होने कहा की परमात्मा को प्राप्त करने हेतू अनेक जन्म लेने पडते हैं.
इससे ही भगवंत की प्राप्ती होने का उपदेश पु शास्त्री ने दिया.सत्र का प्रारंभ मुख्य यजमान नेहा पल्स के संतोष नथमल गोयनका,सौ पुष्पा गोयनका, तुषार गोयनका के पूजाविधी से हुवा.पं राघव द्विवेदी ने इस विधी को साकार किया.दि 5 सप्टेंबर तक नित्य दोप 3 से साय 6 तक चलनेवाली इस अद्भुत कथा मे आज गुरुवार दि 1 सप्टेंबर को रामदेवबाबा जन्मोत्सव की कथा होकर इस दिन छपन्न भोग,पालना पूजन एवं महाआरती होगी. आचार्य श्यामदेव शास्त्री के रामदेवबाबा कथा का बडी संख्या मे लाभ लेने का आवाहन रामदेवबाबा-शामबाबा सेवा समिती के समस्त पदाधिकारीयो ने किया.
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