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शराब की दुकानों में से वाइन अक्षर को हटाया जाए...वाइन को आबकारी विभाग के बजाय कृषी प्रक्रिया उद्योग में लाए..किसान ब्रिगेड की मांग

शराब की दुकानों में से वाइन अक्षर को हटाया जाए

वाइन को आबकारी विभाग के बजाय कृषी प्रक्रिया उद्योग में लाए

किसान ब्रिगेड की मांग
अकोला- शराब दुकानों पर रहने वाला वाइन नाम हटाकर उसके बजाय लिकर शॉप लिखें तथा वाइन को आबकारी विभाग की बजाए कृशी प्रक्रिया में आने वाले उद्योगों में लाया जाए ऐसी मांग किसान ब्रिगेड के संस्थापक राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रकाश पोहरे ने देश के प्रधानमंत्री एवं राज्य के मुख्यमंत्री इन्स ज्ञापन देकर की है देखा जाए तो वाइन यह पूरी तरह से कृषि उत्पादन है। फलों को शुद्ध किया गया बाटली बंद उत्कृष्ट रस, इसके बजाएं वाइन की दूसरी कोई व्याख्या नहीं करते आती है। देखा जाए तो हेल्थ ड्रिंक है शराब बेचने वाले दुकानों में लिकर शॉप की बजाए शब्द छल करते हुए वाइन शॉप ऐसा नाम दिया जाता है। वाइन के संबंध में समाज में अनेक गलतफहमियां फैली हुई है ऐसा ज्ञापन में कहा गया है। समाज में शराब को प्रतिष्ठा नहीं होने कारण शराब निशीधद है इसके चलते अंग्रेजी हुकूमत के दौरान भारत में शराब की दुकान लगाने के लिए वाइन शॉप यह नाम अंग्रेजों द्वारा निकाला गया और इस नाम से देश भर में शराब की दुकानें शुरू हुई वह स्वतंत्र हुए भारत में भी आबकारी विभाग के अंतर्गत शुरू है इस वाइन शॉप का नाम रहने वाली दुकानों में हुए वाइन और लीकर इनकी बिक्री पर एक नजर डाली गई तो दिखाई देगा कि वह इनकी बिक्री यह लिकर  शराब की तुलना में 1% नहीं यह एक वस्तुस्थिति स्पष्ट करती है। दुनिया में अनेक देशों में इतना दूर ही नहीं केरल में भी कुर्ग  इस जिले में घरों घर गृहिनि विभिन्न फलों से अलग-अलग प्रकार के करीब 150 फ्लेवर में वाइन तैयार करते हैं जिसमें जामुन, जाम, गाजर, ककड़ी, मूला, केले, मौसंबी, संतरा, चीकू, सीताफल, महुआ, टोमेटो, सफरचंद, अंगूर, कीवी, आम, मिर्ची, स्ट्रॉबेरी लीची फनस ड्रैगन फ्रूट कोकम आदि कई फलों का इसमें समावेश होता है तो इसके चलते कुर्क को वाइन डिस्ट्रिक्ट की पहचान प्राप्त हुई है इसी के मद्देनजर वाइन संदर्भ में अंग्रेज कालीन धोरण बदलकर शराब दुकान और की वाय अक्षर हटाकर उसकी जगह पर लिकर शॉप ऐसा लिखने की शक्ति की जाए तथा वाइन को कृषि उत्पादन का दर्जा वह विभिन्न सवलत है तथा अनुदान देकर वाइन उद्योग यह खादी ग्राम उद्योग अंतर्गत कुटीर उद्योग के रूप में निर्मित किया जाए और किसान समृद्ध करें इसके लिए नियम में बदल कर के वाइन को एग्री हेल्थ ड्रिंक का दर्जा दिया जाए ऐसी किसान ब्रिगेड की मांग होने का ज्ञापन में कहा गया है।

वाइन के नसीब में वनवास क्यों?
एक और प्रकृति को बड़ा हानिकारक टॉयलेट साफ करने के लायक रहने वाले   कोल्डड्रिंक्स बाजार में खुलेआम प्रतिष्ठा के नाम के नीचे बेचे जा रहे हैं शुद्ध कृषि उत्पादन रहने वाले आरोग्य वर्धक वाइन के नसीब में वनवास क्यो एसे सवाल भी किसान नेता प्रकाश पोहरे ने उपस्थित किया है। तथा दूसरी ओर शक्कर औद्योगिक मल से तैयार की गई और फलों का दूर-दूर तक संबंध नहीं होना और स्वास्थ्य संबंधी घातक ऐसे ही शराब सीधे संतरा मौसमी नारंगी नाम से खुलेआम सरकार के आशीर्वाद से बेची जा रही है जिसमें आश्चर्य व्यक्त होता है। इस बीच   वाइन संदर्भ में पर रहे नासमझी  को दूर करने के लिए अनेक अतिथियों द्वारा अपील तथा दुनिया में विभिन्न देश की परिस्थिति क्या है यह जांच कर लिया जा सकता है ऐसा निवेदन में कहा गया है।

शराब दुकान से वाईन यह नाम नहीं हटाया गया तो आंदोलन

वाइन कृषि उद्योग को दर्जा देने के लिए किसान ब्रिगेड के माध्यम से व्यापक जनजागृति किया जाएगा इसके अंतर्गत जल्द ही अनेक जिलों में वाइन क्लब की स्थापना करके वाइन फेस्टिवल आयोजित किया जाएगा नागपुर में शरद फडणवीस  के मार्गदर्शन में नागपुर वाइन क्लब डोस विगत कई सालों से कार्यरत है और उन्होंने हाल ही में 4 व 5 दिसंबर को ऐसे 2 दिन आठवां वाइन फेस्टिवल मनाया है जिसे समाज में सभी स्तर से उच्च विभूषित और उच्च शिक्षित स्त्री पुरुषों ने परिवार के साथ शानदार प्रतिसाद दिया इस के संदर्भ में वाइन के संबंध में पर चली आ रही नासमझी को दूर करने के लिए आंदोलन छेड़ा जाएगा। सरकार ने हमारी मांग मान्य की नहीं तो शराब दुकान पर वाइन इस नाम पर काला रंग मारने का आंदोलन जल्दी छेड़ा जाएगा। जिसके कारण   कानून व्यवस्था का प्रश्न निर्माण हूंगा इसकी पूरी जिम्मेदारी सरकार की होगी।  ऐसा इशारा व दिया। इस संबंध में सरकार के साथ बैठक करके चर्चा की जाएंगी ऐसा भी इस वक्त किसान नेता प्रकाश कोहरे ने बताया।

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