Akola Pradeep Vakharia press conference; "परिवारिक संपत्ति की तरह चल रही है 'भारतीय सेवा सदन', कोट्यवधी की हेराफेरी की जाए जांच : प्रदीप वखारिया"
अकोला: राज्य इंटक के उपाध्यक्ष प्रदीप वखारिया ने अकोला के प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान भारतीय सेवा सदन पर गंभीर आरोप लगाते हुए इसकी उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। एक पत्रकार वार्ता में उन्होंने कहा कि संस्था को पारिवारिक संपत्ति की तरह चलाया जा रहा है और संचालक मंडल द्वारा करोड़ों रुपये का दुरुपयोग किया गया है। साथ ही, उन्होंने मांग की कि संस्था को दी गई 25 एकड़ की कीमती शासकीय भूमि को तत्काल जब्त किया जाए, क्योंकि इसका उपयोग व्यवसायिक गतिविधियों के लिए किया जा रहा है।
प्रदीप वखारिया ने कहा कि यह संस्था मूलतः समाजसेविका राधादेवी गोयनका द्वारा स्थापित की गई थी, जिनका उद्देश्य गरीब व वंचित वर्ग के बच्चों को शिक्षा देना था। यह संस्था एक समय गोरगरीब छात्राओं की शिक्षा का केंद्र थी, लेकिन अब इसका मूल उद्देश्य ही खत्म हो चुका है। संचालक मंडल के कुप्रबंधन और पारिवारिक मक्तेदारी के चलते आज यह संस्था बदनाम हो चुकी है।
उन्होंने आरोप लगाया कि संचालक मंडल में अधिकांश सदस्य एक ही परिवार से हैं और संस्था का संचालन एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की तरह किया जा रहा है। राज्य सरकार द्वारा नाममात्र भाड़े पर दी गई जमीन का आज वाणिज्यिक प्रयोग किया जा रहा है, जिससे शासन को भी आर्थिक नुकसान हो रहा है। मैदानों को किराए पर देना, कोचिंग क्लासेस, न्यू एकेडमी स्कूल जैसे प्राइवेट संस्थानों को स्पेस देना और करोड़ों की आमदनी को संस्था के बजाय निजी जेब में डालना – ऐसे कई अनियमित कार्य सामने आए हैं।
वखारिया ने यह भी बताया कि संस्था को पूर्णत: सरकारी अनुदान प्राप्त है, इसके बावजूद छात्रों से भारी फीस वसूली जा रही है और कर्मचारियों की भर्ती में आर्थिक लेन-देन की शिकायतें लगातार सामने आई हैं। उन्होंने मांग की कि धर्मादाय आयुक्त द्वारा संस्था की जांच महाराष्ट्र सार्वजनिक ट्रस्ट अधिनियम की धारा 41(D) के अंतर्गत की जाए और दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई हो।
इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि संस्थान की जमीन पर नियमों का उल्लंघन कर खुले मैदान को क्रिकेट अकैडमी और अन्य व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए किराए पर दिया जा रहा है, जबकि यह जमीन शैक्षणिक उपयोग के लिए दी गई थी। उन्होंने इस बात पर भी चिंता जताई कि संस्था के अंदर चल रहे विवादों के चलते छात्र संख्या में भारी गिरावट आ रही है और संस्था की साख को गहरा नुकसान पहुंच रहा है।
प्रदीप वखारिया ने जिलाधिकारी अकोला और शिक्षणाधिकारी से मांग की है कि वे तत्काल प्रभाव से मामले की जांच करें, शासकीय जमीन को जब्त करें, और पूर्व की तरह विद्यामंदिर शाला को पुनः शुरू किया जाए जिससे गरीब विद्यार्थियों को फिर से शिक्षा की सुविधा मिल सके।
उन्होंने यह चेतावनी भी दी कि अगर समय रहते शासन ने हस्तक्षेप नहीं किया, तो यह संस्था शिक्षा के नाम पर केवल व्यापार बनकर रह जाएगी और एक महान उद्देश्य की हत्या हो जाएगी।
यह मामला अब अकोला के शिक्षा क्षेत्र में गहराते संकट और प्रशासनिक उदासीनता की पोल खोल रहा है।
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