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बाढ़ग्रस्त गांवों में नियंत्रण के लिए एक स्थायी कार्ययोजना बनाएं

बाढ़ग्रस्त गांवों में   नियंत्रण के लिए  एक स्थायी कार्ययोजना बनाएं
पालक सचिव सौरभ विजय का जिला प्रशासन को निर्देश
 अकोला - चिकित्सा शिक्षा,औषधी द्रव्य एवं सांस्कृतिक मामलों के विभाग के सचिव ने सभी विभागों को अपने-अपने मुख्यालय पर तैयार रहने के निर्देश दिए हैं ताकि बाढ़ प्रभावित गांवों में स्थायी बाढ़ नियंत्रण उपायों के लिए एक योजना तैयार कर एक प्रस्ताव भेजा जा सके ऐसा अकोला जिला पालक सचिव सौरभ विजय  ने कहा। 
 पालक सचिव सौरभ विजय ने  जिले में प्राकृतिक आपदा प्रबंधन की स्थिति का जायजा लिया।  बैठक में जिला कलेक्टर नीमा अरोरा, जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सौरभ कटियार, मनपा आयुक्त कविता द्विवेदी, उपायुक्त राजस्व संजय पवार, अपर कलेक्टर अनिल खंडागले, रेजिडेंट डिप्टी कलेक्टर संजय खडसे, जिला योजना अधिकारी गिरीश शास्त्री, जिला अधीक्षक कृषि अधिकारी  डॉ  कांतप्पा खोत, कार्यकारी अभियंता अनंत गणोरकर, जिला सर्जन डॉ.  तरंगतुशर वेयर, जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.  सुरेश आसोले, सभी उपविभागीय अधिकारी, सभी व्यवस्था प्रमुख उपस्थित थे।  बैठक के दौरान, पालक  सचिवों ने फसल ऋण, फसल बीमा, उर्वरकों की उपलब्धता, स्टॉक पर की गई कार्रवाई और बीज उर्वरकों में मिलावट, बाढ़ नियंत्रण योजना, कोविड की वर्तमान स्थिति, संचारी रोग नियंत्रण, दवाओं की उपलब्धता, कोविड टीकाकरण आदि पर चर्चा करके  मुद्दों की समीक्षा की।  पालक सचिव ने निर्देश दिए कि हर मानसून बाढ़ से घिरे गांवों में स्थायी बाढ़ नियंत्रण उपायों की योजना बनाई जाए, ताकि इन गांवों में दोबारा बाढ़ न आए और ये गांव बाढ़ से सुरक्षित रहें।  कोविड के साथ-साथ जिले में टीकाकरण के प्रयास तेज किए जाएं।  बाढ़ प्रभावित गांवों में राहत सामग्री पहुंचाई जाए।  साथ ही राहत एवं बचाव कार्य में रंगारंग प्रशिक्षण भी लें।  संक्रामक रोगों से बचाव के लिए पेयजल के नमूनों की जांच करते रहें।

 आरडीसी  संजय खडसे ने पालक सचिव के समक्ष प्रेजेंटेशन के जरिए जानकारी दी।  निगम की ओर से आयुक्त कविता द्विवेदी ने  जानकारी दी।

 बैठक में बताया गया कि जिले के 53 राजस्व मंडलों में रेंजेज एवं ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन सिस्टम चालू है।  इस साल अब तक जिले में बालापुर तालुका में 66.3 मिमी, पारस मंडल में 83 मिमी, व्याला मंडल में 99 मिमी और बालापुर मंडल में 83 मिमी बारिश हुई है।  साथ ही मांजरी से अकोला तक का रास्ता क्षतिग्रस्त हो गया है और मांजरी गांव को जोड़ने वाला पुल बह गया है।  इस ब्रिज की मरम्मत का काम शुरू हो गया है।  जिले में कुल 38 परियोजनाएं हैं, 2 बड़ी, 3 मध्यम और 33 छोटी।  बड़ी परियोजनाओं में कटेपूर्णा परियोजना में 25.96 डीएलएचएम, वान बांध 32.93 डीएलएचएम, मध्यम परियोजनाएं उमा बांध 1.72, मोरना परियोजना 15.94 और निर्गुण परियोजना 7.62 डीएल.एच.एम, जल भंडारण शेष है।
 इस साल जून माह से निंबी ता.  बार्शिटाकली, मजलापुर ता.  अकोला, अलेगांव ता.  पातुर में, प्राकृतिक आपदाओं (तूफान और बिजली गिरने) के कारण ऐसे तीन लोगों की मौत हो गई है।  तो छह जानवरों की मौत हो गई है।  जिले में कुल 20 घरों के आंशिक रूप से गिरने की सूचना है।  जून के महीने में ही भारी बारिश और बाढ़ के कारण 1335 हेक्टेयर क्षेत्र में फसलों और फलों को नुकसान पहुंचा है।
जिले में अब तक 3 लाख 61 हजार 308 हेक्टेयर क्षेत्र में बुवाई की जा चुकी है और यह अनुपात 78.25 प्रतिशत है।

जिले मे कुल ८३ गाव बाढ़ पीड़ित के रूप में पंजीयन। 
यहां पर खबरदारी व प्रतिबंधात्मक उपाययोजना की गई है। बाढ़ पीड़ित गावो के नाम अकोला तालुका- अकोला शहर, म्हैसांग, एकलारा, कपिलेश्वर, वडद बु., दोनवाडा, गांधीग्राम, धामना, चांगेफळ, म्हैसपूर, चांदुर, सांगवी बु., कुरणखेड, गोत्रा, आगर. बार्शीटाकळी तालुका- चिंचखेड, निंभोरा, तामशी, खांबोरा, वरघेड, वाघजळी, दोनद खु., टाकळी, राजंदा, सुकळी, वरखेड, सिंदखेड. अकोट तालुका- केळीवेळी, किनखेड, पळसोद, पनोरि, पिकलवाडी, कुटासा, मुंडगाव, अकोट, करोडी, वरुर. तेल्हारा तालुका- मन्नात्री बु., डवला, तळेगाव वडनेर, तळेगाव पातुर्डा, नेर, सांगवई, उमरी, पिळवंद, दानापुर, सौदाळा, वारखेड. बाळापूर तालुका- वाडेगाव, बाभुळखेड, कासारखेड, हाता, अंदुरा, लोहारा, कवठा, हातरुण, रिधोरा, सोनाळा, बोरगाव वैराळे. पातुर तालुका- पाटसुल, भंडारज खु., आगीखेड, कोठारी बु., चोंढी, विवरा, आलेगाव, वहाळा बु., सस्ती, तुलंगा. मुर्तिजापूर तालुका- हेंडज, पिंगळा, कोळसरा, भटोरी, दातवी, सांगवी, दुर्गवाडा, दापुरा, हिवरा कोरडे, लाखपुरी, माना, खांदला, पोही, उनखेड।

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