Akola Government Hospital mismanagement: अकोला सरकारी अस्पताल का कुप्रबंधन सामने आया! दूसरी बार बदला मरीज का ब्लड ग्रुप!
अकोला के सिटी कोतवाली थाने में दर्ज कराई गई शिकायत
अकोला- अकोला के सरकारी अस्पताल में इलाज के लिए आई चंद्रकला बोदडे को एनीमिया होने के कारण इलाज के लिए भर्ती कराया गया था और उन्हें खून की जरूरत थी। डॉक्टर ने उनका ब्लड ग्रुप चेक करने को कहा। उनका ब्लड चेक किया गया। उन्हें ए पॉजिटिव ब्लड ग्रुप का ब्लड दिया गया। इलाज के बाद वह बेहतर महसूस करने लगी और उसे अस्पताल से छुट्टी मिल गई।लेकिन एक महीने बाद उसकी तबीयत बिगड़ने के कारण उसे इलाज के लिए फिर से सरकारी अस्पताल लाना पड़ा, इस बार भी उसे खून की जरूरत थी, लेकिन इस बार जब उसकी रक्त की जांच की गई, तो उसे एबी पॉजिटिव खुन की रिपोर्ट आई व उन्हे ब्लड देने के लिए एक डोनर के लिए कहा गया। ऐसे आरोप मरीज की बेटी ने लगाय।
मरीज की बेटी वनमाला राहुल गावरगुरू एक शिक्षित होने के नाते, उन्होंने महसूस किया कि पहला ब्लड ग्रुप ए और दूसरा एबी था, इसलिए जब उन्होंने समाज सेवक व रक्तदाता के रूप में कार्य करने वाले सौरभ वाघोड़े को सूचित किया तो उन्होंने सरकारी अस्पताल के ब्लड बैंक समन्वयक से जवाब मांगा वाघोड़े ने आरोप लगाया कि अगर उस मरीज को गलत खून दिया जाता तो मरीज की जान चली जाती।
इसका जिम्मेदार कौन रहता? यह पूछने पर सही ढंग से संबंधित सरकारी ब्लड बैंक अधिकारी ने योग्य रूप से जवाब भी नहीं दिया। जिसके चलते सौरभ वाघोड़े ने मरीज की बेटी वनमाला राहुल गावरगुरु को अपने साथ ले गए और सिटी कोतवाली पुलिस में सरकारी अस्पताल के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई।
किंतु सवाल अब यह उठता है कि अगर कोई अशिक्षित व्यक्ति वहां चले जाए और उसे गलत ब्लड लग जाए तो इसका जिम्मेदार कौन होगा? इस ओर गंभीरता से ध्यान देने की मांग उठ रही है तथा तज्ञ लोगों को ऐसी जगह पर नियुक्त किया जाए ताकि किसी की जान जाने से बचे ऐसी चर्चा चल रही है। इस पूरे प्रकरण की आगे की जांच सिटी कोतवाली पुलिस कर रही है।
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