5 September Teacher Day Special: शिक्षक और समाज
अफरोज रोशान
शिक्षक एक दीपक है, जो अंधेरे रास्तों में प्रकाश के वजुद को बनाए रखता है। शिक्षक एक फूल है, जो अपनी सुगंध से समाज में शांति, प्रेम और मित्रता का संदेश देता है। शिक्षक एक ऐसा नेता होता है, जो व्यक्ति को जीवन की गलतियों से निकालकर मंजिल की ओर ले जाता है।शिक्षक के बिना कोई भी गुमराहियों का शिकार हो जाता है। जो भी कबीले न्इस्लाम कबूल कर लिया करते, तो प्यारे पैगम्बर वहां एक शिक्षक की नियुक्ति कर देते थे, ताकि लोग अंधेरे से उजाले की ओर आ सके। शिक्षक होना एक महान खुशी है। यह सच है कि समाज ने शिक्षक के महत्व को पहचाना और उसे उसका अधिकार दिया ।
यह अफ़सोस की बात है कि आज की स्थिति हमारे सामने है कि राज्य सरकार या केंद्र सरकार द्वारा शिक्षक जागरूकता अभियान के लिए घर-घर, गली-गली, गाँव-गाँव जाता है, लेकिन समाधान क्या है। शिक्षा और विशेष रूप से धार्मिक शिक्षा और समाज को कामयाब बनाने के साथ-साथ शिक्षित के लिए महत्वपूर्ण और आवश्यक है। जब तक किसी राष्ट्र में शैक्षिक जागरूकता नहीं होगी, राष्ट्र जीवन के किसी भी क्षेत्र में विकास से वंचित है। केवल शैक्षिक जागरूकता ही जीवन में एक नई दिशा का निर्माण कर सकती है। शिक्षा को मजबूत करना उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि दुनिया के लोगों के लिए रोटी, कपडा और मकान। क्योंकि इन्सान के जीवन के लिए रोटी कपडा , और मकान आधारित है।
इतिहास गवाह है कि दुनिया अपने सिर की आंखों से देख रही है कि कौन हावी है और क्यों? और मजबूर कौन है और किस कारण से? शिक्षा हर व्यक्ति की बुनियादी जरूरतों में से एक है चाहे वह अमीर हो या गरीब, पुरुष हो या महिला शिक्षा किसी भी राष्ट्र या समाज के विकास के लिए जिम्मेदार है। इस संदर्भ में शिक्षा को एक मिशन की आवश्यकता है। आज के युग में शिक्षा की आवश्यकता और महत्व बहुत अधिक हो गया है। शिक्षा की उपलब्धि के लिए योग्य शिक्षक भी बहुत महत्वपूर्ण हैं, जो बच्चों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने में मदद करते हैं। बच्चों को बुनियादी शिक्षा देना शिक्षक की प्राथमिक जिम्मेदारी है। आज के दौर में ज्यादातर बच्चे चार-पांच साल की उम्र में ही ज्ञान की यात्रा पर निकल पड़ते हैं। ये रास्ता उनके लिए बहुत कठिन है। इसमें अपना दिल लगाए बिना मुश्किल है। फिर ऐसी दुखद परिस्थितियाँ और घटनाएँ जो हमारी शिक्षा प्रणाली में पाई जाने लगी हैं, उसे बदलने की कोशिश करने से भी नहीं बदला जा सकता है। मुस्लिम बच्चों में शिक्षा छोड़ने की दर बहुत अधिक है। बहुत से छात्र 7वीं या 8वीं कक्षा में हि पढ़ाई छोड़ देते हैं।
इसके कई कारण हैं, पहला है शिक्षा के मामले में हमारी नसमझ, आज भी मुसलमानों में बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं जो शिक्षा के महत्व से अनजान हैं। कुछ लोग अपने बच्चों को होटल कि मेज साफ करने मजदुरी करने काम करने ५० या १०० रूपए के लिए भेज देते हैं मुसलमानों में यह जागरूक मुसलमानों की जिम्मेदारी है कि वे उन्हें बताएं कि यह चंद पैसे उनके भविष्य को अंधेरे में लेजाने का एक साधन है। इसलिए यदि वे अपने बच्चों को अभी कष्ट सहकर शिक्षा दें तो आज के ये पचास रुपये कुल दस हजार ला सकते हैं।
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