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बाल छात्रो हेतू "फिजीटल" शिक्षा प्रणाली उपयुक्त

बाल छात्रो हेतू "फिजीटल" शिक्षा प्रणाली उपयुक्त
अकोला - करोना संकट मे विगत वर्ष से बडे पैमाने पर ऑनलाइन शिक्षा प्रणाली शुरू हो चुकी है. इसका
 बालको के मस्तिष्क पर विपरीत परिणाम हुआ है. ऑनलाइन शिक्षा प्रणाली छात्रों के लिए उपयुक्त नही है. करोना मे एक तरफ स्कूल बंद है, तो दुसरी तरफ मोबाईल द्वारा शुरू हुए ऑनलाइन शिक्षा से बालक वर्ग प्रभावित हुआ है. इन गंभीर बातो को ध्यान मे रखकर ऑनलाइन एवं प्रत्यक्ष शिक्षा मिलाकर फिजीटल शिक्षा पद्धती विकसित होने की जानकारी रविराज फाउंडेशन अध्यक्ष रविंद्र फाटे ने दी.रविराज फाउंडेशन के माध्यम से बालको के सर्वांगीण अभ्यास के विकास हेतू एक निराली,अद्भुत शिक्षा फार्मूला तयार किया है. नर्सरी से लेकर दसवी तक एक सिल्याबस तयार कर हर किताब के हर पृष्ठ पर क्यूआर कोड अंकित किया गया है. इस कोड के माध्यम से छात्र इस कोड को स्कॅन कर जीस तरह से टीचर पढाते है,उसी तरह व्हिडिओ के रूप में डिजिटल टीचर  पेज के पन्ने पर लिखे अभ्यास का सरलता से आपको लेसन सिखायेगे.जिससे बाल छात्र को प्रत्यक्ष क्लास की अनूभूती होगी.यह बहुत अनोखा प्रयोग होने के साथ मनभावन एवं लुभावना है.इससे बालक का ध्यान मोबाईल में किसी दूसरे फालतू विषय की तरफ न जाते हुये अपने विषय की और जाकर
 क्यूआर कोड के माध्यम से अच्छी शिक्षा प्राप्त कर करेंगे.अधिक जानकारी हेतू ब्लॅकबेरी कॉम्प्लेक्स,दुसरा माला, रतनलाल प्लॉट अकोला संपर्क करने का आवाहन किया गया है.

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